Gene in Hindi जीन क्या है, जीन के कार्य क्या है इत्यादि

Gene in Hindi हांक्या आपने कभी सोचा है कि छोटे बच्चों का चेहरा उनके माता-पिता से क्यों मिलता है या फिर जुड़वा भाई बहन का चेहरा एक जैसा क्यों होता है इसका जवाब है क्योंकि उनके माता-पिता एक है। या आप कह सकते हैं उनका जेनेटिक एक समान है अब यह जेनेटिक क्या है। वह सभी गुड जो हमें अपने माता-पिता से मिलते हैं वह जेनिटेक द्वारा ही माता-पिता से हमारे शरीर में आते हैं

हम इस आर्टिकल में जीन के बारे में जानकारी देंगे जैसे कि जीन क्या है, जीन के कार्य क्या है इत्यादि (Gene in Hindi)

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जीन क्या है – What is Gene in Hindi

Gene in Hindi

न्यूक्लिक अम्ल का एक सतत् अनुक्रम (continuous sequence) जो एक विशिष्ट पॉलीपैप्टाइड को इंगित (specified) करता हो या न्यूक्लियोटाइड का वह कार्यात्मक खण्ड जो प्रोटीन के लिये कोड करता है जीन कहलाता है।

इस प्रकार कोडित सूचना RNA पर अनुलेखित (Trauscribed) हो जाती है। अतः जीन का प्रथम उत्पाद RNA हुआ जिस पर कोड करने वाले डी एन ए के पूरक अनुक्रम उपस्थित रहते हैं।

एक ऐसा जीनोमिक अनुक्रम जो नियमन क्षेत्र (regulation region), अनुलेखन क्षेत्र (transcription region), तथा अन्य कार्यात्मक क्षेत्र से जुड़ा हो व जिसके विस्थलों को ज्ञात किया जा सके, जीन कहलाता है। जीन की पारस्परिक क्रियाओं के उत्पाद के रूप में जीवों के गुण, फीनोटाइप व विकास निर्धारित होता है।

जीन आनुवंशिक सूचनात्मक इकाई होती है जो कोशिका के जीवनकाल की प्रत्येक क्रिया को निर्देशित करती है। यह विभाजन के समय एक कोशिका से दूसरी कोशिका अथवा एक से दूसरे जीव में आनुवंशिक सूचना प्रेषित करते हैं।

जीन में निम्नलिखित गुण मौजूद होते हैं- Gene in Hindi

  • यह आनुवंशिकी की एक भौतिक इकाई है।
  • किसी भी गुणसूत्र पर विशिष्ट विस्थल (loci) पर स्थित डी एन ए के अनुक्रम होते हैं।
  • जीन प्रोटीन अथवा आर. एन. ए. अणु को कोडित करते हैं।

जीन कहाँ पाया जाता है? – Where is gene found in Hindi

जीन वंशागति के लिये उत्तरदायी हैं। यह गुणसूत्रों पर नियत स्थानों पर पाये जाते हैं। हर कोशिका के नाभिक (स्तनधारियों की लाल रूधिर कोशिकाओं को छोड़कर) में गुणसूत्रों की एक निश्चित संख्या है।

जीन के प्रकार – Type of gene in Hindi 

जम्पिंग जीन (Jumping Gene)

गुणसूत्र में जीन के विस्थल (loci) नियत स्थान पर होते हैं। मक्का में कुछ ऐसे जीन देखे गये (मेक्लिनटाक, 1950) जो अपना स्थान एक गुणसूत्र पर एक जगह से दूसरी जगह तथा एक गुणसूत्र से 

दूसरे गुणसूत्र पर बदलते रहते हैं। स्थान परिवर्तन करने वाले ऐसे जीनों को जम्पिंग जीन अथवा ट्रांसपोजोन कहते हैं।

Genes

पुनरावृति डी एन ए (Repeatitive DNA)

विभिन्न जातियों में डीएनए की मात्रा अलग-अलग पायी जाती है। ई. कोलाई नामक बेक्टीरिया से 700 गुना अधिक डीएनए मनुष्य में पाया जाता है। इसी तरह ट्रेडीस्कॅशिया में मनुष्य से 10 गुना अधिक डीएनए उपस्थित होता है।

निम्न से उच्च जीव जन्तुओं व पादपों में उनके बढ़ते आकार व शारीरिक जटिलता के साथ-साथ क्रियाशील जीनों (functional genes) की संख्या उनमें उपस्थित डीएनए की अधिक मात्रा के हिसाब से आनुपातिक (proportionately) रूप से अधिक नहीं होती है।

यूकेरियोटिक कोशिकाओं में अतिरिक्त (extra) डीएनए अधिक मात्रा में पाया जाता है। सन् 1964 में सर्वप्रथम आश्चर्यजनक तथ्य समाने आया था कि चूहे में अधिकतर डीएनए की एक से अधिक प्रतियाँ (copies) मौजूद रहती हैं, जीन्हें अतिरिक्त डीएनए कहा गया। यह अतिरिक्त डीएनए कुछ विशिष्ट अनुक्रमों में ही उपस्थित होता है।

ब्रिटन तथा कोहने (Britten and Kohne) ने 1968 में बताया कि इस अतिरिक्त डीएनए (जो विशिष्ट अनुक्रम में ही पाया जाता है) की अनेक प्रतियाँ (copies) यूकेरियोटिक कोशिकाओं में उपस्थित होती हैं। ऐसे पुनरावर्ती अनुक्रम भागों (repeated sequence components) मे rRNA, mRNA, tRNA, तथा हिस्टोन इत्यादि होते है जो हजारों की संख्या में पुनरावर्ती भाग में उपस्थित रहते हैं परन्तु इनका कोई विशिष्ट व प्रत्यक्ष कार्य नहीं होता। यह सरल अनुक्रम अथवा सेटेलाइट डीएनए है जो अधिकतर हीटरोक्रोमेटिन भाग में उपस्थित होते हैं। इसलिये यह गुणसूत्र बिन्दु (centromere) अन्तखण्ड (टिलोमियर) स्थलों पर मौजूद रहते हैं परन्तु यह अनुलेखित (transcribed) नही होते हैं।

अन्तस्थ खण्ड (telomeres) में विशिष्ट डीएनए के छोटे पुनरावर्ती अनुक्रम उपस्थित रहते हैं । यह 5 से 350 बार तक पुनरावर्ती होते हैं। पादप में T3, AG3, एरेबिडोप्सिस (Arabidopsis) तथा (TC)1-3 A(G)1.3 यीस्ट में पुनरावर्त होते है।

कोडिंग जीन (Coding Gene)

प्रोटीन कोडिंग करने वाले लगभग सभी जीन विशिष्ट (unique) प्रकार के होते हैं तथा एक ही प्रति के रूप में उपस्थित रहते हैं परन्तु ज-आरएनए r-आरएनए

तथा इम्यून तंत्र (immune system) में प्रोटीन्स के जीन एक से अधिक प्रतियों (copies) में मिलते हैं।

बिशप 1974 तथा लेविन (Lewin) ने 1975 में बताया यूकेरियोट के डीएनए अनुक्रम का ज्यादातर भाग m- आरएनए नहीं उत्पन्न करता बल्कि अतिरिक्त डीएनए का मात्र छोटा सा भाग ही जीन नियंत्रण में भाग लेता है।

बरनार्ड (Bernard) ने 1979 में बताया कि मनुष्य के β ग्लोबिन (globins) का डीएनए 40 किलो क्षार (kilobase) लम्बा होता है परन्तु इसका मात्र 10 किलो क्षार युग्म ही उ- आरएनए निर्मित करता है। शेष बेकार) (junk) डीएनए होता है। ऑरगिल तथा क्रिक (Orgel and Crick 1980) के अनुसार इनका जीव के स्वस्थ होने (fitness) में कोई भूमिका ज्ञात नहीं है।

जन्क जीन (Junk Gene)

इसमें नॉन कोडिंग, पुनरावर्ती जीन सम्मिलित है जो प्रोटीन के लिए कोड नहीं करते। इसको इन्ट्रॉने कहते है। यह यूकेरियोटिक में सामान्यतः मिलते हैं। प्रोकेरियोट में यदा कदा पाये जाते हैं।

स्पिल्ट जीन (Split Gene)

प्रोकेरियोट में स्पिल्ट जीन रिपोर्ट किये गये हैं जो नॉनकोडिंग अनुक्रमों द्वारा विभेदित होकर दूरी पर स्थित होते हैं। शार्प तथा राबर्ट ने 1977 में एडेनोवायरस (Adenovirus) में स्पिल्ट जीन का आविष्कार किया तथा 1993 में नोबल पुरस्कार प्राप्त किया।

आत्मघाती (सूसाइडल) जीन (Suicidal Gene)

ऐसे जीन जो एन्टीबायोटिक के लिए कोड करते हैं तथा यह जीवाणु कोशिकाओं को नष्ट करते हैं, आत्मघाती जीन कहलाते हैं। यह आनुवंशिक रूप से जीवाणु कोशिका में रूपान्तरित हो जाते हैं। इनकी सक्रियता वातावरण में पोषकतत्वों के हाथ में रहती है जो स्विच का कार्य करते हैं। जब खनिज पदार्थ समाप्त हो जाते हैं तब आत्मघाती जीन का स्विच ऑन हो जाता है तथा जीवाणु कोशिकायें मर जाती हैं।

स्यूडो जीन (Pseudo Gene)

यह सक्रिय जीन (functional gene) की कॉपी होती है जो उत्परिवर्तन (mutation) के पश्चात् द्विगुणन (duplication) द्वारा बनती हैं। यह क्रियाशील नहीं होते हैं।

जीन के कार्य – Function

जीन के मुख्यतः दो कार्य होते हैं। पहला आनुवंशिक

संकेतों को धारण करना और दूसरा द्विगुणन द्वारा जीव के प्रजनन को सम्भव करना । सम्पूर्ण आनुवंशिक पदार्थ को दो भागों में बाँटा गया है-

जीनोम (Genome)

गुणमूहों में पाये जाने वाले आनुवंशिक पदार्थ को जीनोम कहते हैं। इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण गुणसूत्र आते हैं। जीन इन्हीं गुणसूत्रों पर पाया जाता है।

प्लाज्माजीन (Plasmagene)

क्रोमोसोम के बाहर जीन यदि कोशिका द्रव्य के कोशिकांगों में होती है तो उन्हें प्लाज्माजीन कहते हैं।

जीन संबंधी रोग – Disease of gene in Hindi

आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकता (हेरेडिटी) तथा जीवों की विभिन्नताओं (वैरिएशन) का अध्ययन किया जाता है। आनुवंशिकता के अध्ययन में ग्रेगर जॉन मेंडेल की मूलभूत उपलब्धियों को आजकल आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया है।

रक्ताल्पता

या‍नि खून की कमी। यह हीमोग्लोबिन की संख्या में कमी आने से होती है। इसे एनिमिया भी कहते हैं।

डीप वेन थ्रोम्बोसिस

डीप वेन थ्रोम्बोसिस यानि डीवीटी। यह ब्लड क्लॉट होता है, जो शरीर की नसों की गहराई में बन जाता है। जब खून गाढ़ा हो जाता है, तब यह स्थिति बनती है। ज्यादातर ये समस्या जांघ पर होती है।

मल्टीपल स्केलेरोसिस

दिमाग की तंत्रिकाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य करने वाले सेल्स के क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से यह बीमारी होती है। इसमें एंटीबॉडी मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और आंखों के नसों पर प्रभाव डालती है।

मधुमेह – टाइप 1 और टाइप 2

डायबिटीज मेलेटस (डीएम), जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। टाइप 1 और टाइप 2 इसी के प्रकार हैं।रक्तवर्णकता – यानि हेमोचरोमाटोसिस, एक बीमारी है जिसमें बहुत ज्यादा लोहे आपके शरीर में जमा होता है।

पार्किंसंस रोग

पार्किंसन रोग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक रोग है जिसमें रोगी के शरीर के अंग कंपन करते रहते हैं।

थैलेसीमिया

इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।

सि‍स्टिक फाइब्रोसिस

सिस्टिक फाय्ब्रोसिसएक अनुवांशिक रोग है, जो शरीर के कई भागों को प्रभावित करता है। इनमें जिगर, पेंक्रिआज, मूत्राशय के अंग, जननांग और पसीने की ग्रंथियां शामिल हैं।

हीमोफीलिया

इसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता।

डाउन सिंड्रोम

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक रोग है, जो बहुत कम लोगों को होता है। इस रोग में ना सिर्फ बच्चे का शारीरिक बल्कि मानसिक विकास भी धीमा होता है।

जीन के बारे में तथ्य – Facts about gene in Hindi

जीन के बारे में निम्नलिखित तथ्य जानकर आप हैरान रह जाएंगे

मानव जीनोम में 30,000 से 40,000 जीन होते हैं।

एक इंसान को एक मक्खी या कीड़ा की तुलना में केवल दो बार जीन काउंट से बनाया जा सकता है।

हम फल मक्खी या कीड़े नहीं हैं क्योंकि हमारे कुछ जीन अलग तरह से काम करते हैं – हमारे पास अधिक “नियंत्रण जीन” हैं।

ऐसा लगता है कि सैकड़ों जीन बैक्टीरिया से आए हैं – जीनमें से एक अवसाद से जुड़ा हुआ है।अधिकांश उत्परिवर्तन पुरुषों में होते हैं।

दस लाख से अधिक एसएनपी की पहचान की गई है।

बाजार में सभी फार्मास्युटिकल दवाओं के लिए शरीर खाते में सिर्फ 483 मौजूदा “लक्ष्य” हैं।

एचजीपी ज्ञान के कारण शरीर कैसे काम करता है, इसकी समझ नाटकीय रूप से बढ़ रही है।

मनुष्य के रूप में हम कैसे विकसित हुए, इसकी समझ को “आनुवंशिक पुरातत्व” के माध्यम से तेजी से उन्नत किया जा रहा है।

खोज किसने और कैसे की – How discovered gene

सन 1956 से लेकर सन 1965 के बीच एक बहुत ही प्रसिद्ध वैज्ञानिक

जीनका नाम मंडल था उन्होंने मटर के पौधों पर रिसर्च की थी और उनके अनुवांशिक और वंशानुगत पैटर्न को ध्यान में रखकर जीनोटाइप और फेनोटाइप संतति के बारे में बताया था और इन्होंने ही जीन शब्द का उपयोग पहली बार किया था।

जीन इतने आवश्यक क्यों हैं – Why are genes important?

जीन इतना आवश्यक इसलिए है क्योंकि यह माता-पिता के गुण उनकी संतान में ले जाने का कार्य करता है अगर ऐसा ना हो तो विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगेंगे अगर किसी व्यक्ति के जीन में किसी प्रकार की गड़बड़ी हो जाए तो उसे विभिन्न प्रकार के रोग होने लगते हैं जैसे वह मानसिक रूप से भी असक्षम हो सकता है।

जीन किस चीज से मिलकर बने होते हैं – What are gene made of

जीन डीएनए से बने होते हैं । कुछ जीन प्रोटीन नामक अणु बनाने के निर्देश के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, कई जीन प्रोटीन के लिए कोड नहीं करते हैं। मनुष्यों में, जीन आकार में कुछ सौ डीएनए आधारों से लेकर 2 मिलियन से अधिक आधारों तक भिन्न होते हैं।

आपके शरीर की लगभग हर कोशिका के अंदर डीएनए नामक एक रसायन छिपा होता है। एक जीन डीएनए का एक छोटा खंड है। डीएनए लाखों छोटे रसायनों से बना होता है जीन्हें बेस कहा जाता है । रसायन चार प्रकार ए, सी, टी और जी में आते हैं। एक जीन डीएनए का एक खंड है जो एएस, सीएस, टी और जीएस के अनुक्रम से बना है।  आपके जीन इतने छोटे हैं कि आपके शरीर की प्रत्येक कोशिका के अंदर उनमें से लगभग 20,000 हैं! मानव जीन आकार में कुछ सौ आधारों से लेकर दस लाख से अधिक आधारों तक भिन्न होते हैं।

प्रत्येक मनुष्य में लगभग 20,000 जीन और 3,000,000,000 आधार होते हैं। आपके जीन और क्षार के पूरे क्रम को आपका जीनोम कहा जाता है।

Genes in hindi

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने जीन के बारे में जानकारी दिया है जैसे जीन क्या है, जीन के कार्य क्या है इत्यादि (Gene in Hindi)

मैं आशा करता हूं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा अगर आपको हमारे आर्टिकल पसंद आता है या आप क्या कोई सवाल या जवाब है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं धन्यवाद।

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